सालों बाद बना ऐसा संयोग: सोमवती अमावस्या के दिन मनेगा पोला पर्व, बाजार में बिकने लगे मिट्टी के बैलसालों बाद बना ऐसा संयोग: सोमवती अमावस्या के दिन मनेगा पोला पर्व, बाजार में बिकने लगे मिट्टी के बैल
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सोमवार को सोमवती अमावस्या सहित पोला अमावस्या भी है जिसे बहुत ही विशेष माना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन पोला का पड़ना खेती-किसानी के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। सिवनी मालवा तहसील में ग्रामीण इलाके मे पोला अमावस्या त्यौहार को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है, इसको लेकर बाजार में मिट्टी से बने बैल अलग-अलग रंगों तथा डिजाइन में बाजार में बिकने लगे हैं। बाजार में मिट्टी के बैल बेचने आये सागर के गंधर्व प्रजापति ने बताया कि पोला अमावस्या पर बैलों की पूजा की जाती है। जिसके लिए हम सागर जिले से सिवनी मालवा बैल बेचने आये हैं। हमारे पास 100 रुपये से लेकर 450 रुपये तक के मिट्टी के बैल हैं।

सिवनी मालवा कृषि प्रधान क्षेत्र है जिसके चलते यहां के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार है पोला, जिसे हर साल भादो की अमावस्या को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें किसानो के साथी यानी बैल को सजाकर विशेष पूजा की जाती है। कृषि प्रधान क्षेत्र होने के चलते यहां परम्परागत रूप से बैलों का पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कृषि कार्य में बैल का विशेष योगदान होता है। मिट्टी के बैल की पूजा करने के बाद बच्चे मिट्टी के बर्तनों और मिट्टी के बैलों के साथ खेलते हैं। पोला त्योहार मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ा पर्व माना जाता है।

इस त्योहार में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदी बैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़-चीला, गुलगुले जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। पंडित अवधेश मिश्रा ने बताया की भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को पोला मनाया जाता है। इस वर्ष सोमवती अमावस्या के दिन दिनांक 2 सितम्बर को पोला पर्व आ रहा है। यह पर्व खरीफ फसल के द्वितीय चरण का कार्य (निंदाई ) पूरा हो जाने तथा फसलों के बढ़ने की खुशी में किसानों द्वारा बैलों के प्रति आभार जताते हुए बैलों की पूजा कर मनाते हैं।

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