नर्मदापुरम कलेक्टर की चिट्ठी लेकर हाईकोर्ट पहुंचे एडीएम: न्यायाधीस ने लगाईं फटकार बोले क्या कलेक्टर सीधे हाईकोर्ट न्यायाधीश को पत्र लिख सकती है
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम की कलेक्टर सोनिया मीणा को एक मामले की सुनवाई के दौरान ना सिर्फ कड़ी फटकार लगाई है, बल्कि एडीएम डीके सिंह सहित सिवनी मालवा तहसीलदार राकेश खजूरिया पर भी कोर्ट ने खासी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इनके लिए सब कुछ कलेक्टर साहब हो गए है। कलेक्टर के नाम की चिट्ठी लेकर आते हैं और कोर्ट में लहराते हैं। हाईकोर्ट ने इस पर भी नाराजगी जाहिर की है कि अखिर क्यों निर्देश के बावजूद कलेक्टर कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने नर्मदापुरम कलेक्टर पर कार्रवाई को लेकर आदेश सुरक्षित रखा है।
नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा के जमीन से जुड़े एक मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कलेक्टर सोनिया मीणा को हाजिर होने कहा था। कोर्ट की नाराजगी इस बात को लेकर भी ज्यादा थी कि कलेक्टर ने खुद आने की बजाय एडीएम के हाथों, सीधे हाईकोर्ट जज के नाम एक चिट्ठी भेज दी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी अधिकारी अपनी बात सरकारी वकील के जरिए ही कोर्ट में रख सकता है, इस तरह सीधे जज को चिट्ठी नहीं भेज सकता। हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम कलेक्टर के इस रवैये पर नाराजगी जताकर उनके खिलाफ कार्यवाही की बात की है। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कलेक्टर पर कार्यवाही के अपने आदेश को फिलहाल सुरक्षित रख लिया है जिसे कल तक सुनाया जा सकता है।
जबलपुर हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम के सिवनी मालवा के एक जमीनी विवाद पर नए सिरे से नामांतरण कार्यवाही का आदेश दिया था, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने नामांतरण की बजाय बंटवारे की कार्यवाही कर दी। इसके खिलाफ जब याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में याचिका लगाई तो कोर्ट ने नर्मदापुरम कलेक्टर को जवाब के लिए आज कोर्ट में तलब किया था। कलेक्टर के ना आने और एडीएम के हाथों, जज के नाम चिट्ठी भेज देने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है और कलेक्टर पर कार्यवाही का अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
दरअसल नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा में रहने वाले प्रदीप अग्रवाल और नितिन अग्रवाल का जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। विवाद जब नहीं सुलझा तो प्रदीप अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने नामांतरण की प्रक्रिया नए सिरे से किया जाए। कोर्ट की रिमांड के बाद जब वापस जमीन नामांतरण का केस नर्मदापुरम गया तो वहां पर नामांतरण की कार्यवाही ना कर सिवनी मालवा तहसीलदार ने दूसरे पक्ष नितिन अग्रवाल से बंटवारे का आवेदन रिकार्ड में लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी, जबकि हाईकोर्ट का आदेश था कि इसमें नामांतरण करना है न कि बंटवारा।
इसके खिलाफ पक्षकार प्रदीप अग्रवाल ने रिविजन आवेदन अपर कलेक्टर को सौंपा और बताया कि तहसीलदार की यह कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है, जिसे सुधारा जाए। अपर कलेक्टर ने भी तहसीलदार की कार्यवाही को सही ठहराते हुए कहा कि ये कार्यवाही ठीक है और हाईकोर्ट के निर्देश का पालन हो रहा है। जिसके चलते मामला दोबारा हाईकोर्ट पहुंचा जहां याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ गुलाटी ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट का आदेश नामांतरण का था, जबकि तहसीलदार बंटवारा कर रहे है। हाईकोर्ट ने सुनवाई की और शुक्रवार को नर्मदापुरम कलेक्टर को उपस्थित होकर जमीन के मामले को लेकर हुई कार्रवाई समझाने को कहा था, पर नर्मदापुरम के पचमढ़ी में लगने वाले मेले की तैयारी में व्यस्तता के कारण कलेक्टर सोनिया मीणा हाईकोर्ट में उपस्थित नहीं हुई है और एडीएम डीके सिंह और तहसीलदार को एक चिट्ठी जस्टिस के नाम की लिखी भिजवा दी, जिसे देखकर जस्टिस जीएस अहलूवालिया नाराज हुए। न्यायाधीश ने एडीएम को फटकार लगाते हुए कहा की मुझे आपको तत्काल निलंबित करने का निर्देश क्यों नहीं देना चाहिए साथ ही उन्होंने कहा की तहसीलदार के खिलाफ सीधे सीएस को कार्रवाई के लिए लिखूंगा मै।