हरदा में एक परिवार ने बेटे की शादी में घूमर डांस कराया तो समाज ने उसे 11 महीने के लिए बेदखल कर दिया। परिवार पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इस परिवार ने अपने बेटे की बारात डीजे पर निकाली और राजस्थान से घूमर नृत्य करने वाली टोली को भी बुलाया था। यही बात समाज के बड़े लोगों को रास नहीं आई।
समाज के लोगों ने मीटिंग बुलाकर परिवार को बेदखली का फरमान सुना दिया। अब ये परिवार समाज के किसी भी आयोजन में शामिल नहीं हो पा रहा है। पीड़ित परिवार सिटी कोतवाली पुलिस के सामने गुहार लगा चुका है। सोमवार को एसपी अभिनय चौकसे से मुलाकात कर अपनी पीड़ा बताई। कलेक्टर को आवेदन देकर न्याय की मांग की। हालांकि, समाज की कमेटी ने इन आरोपों को झूठा बताया है। उनका कहना है कि उन्होंने बेटे की शादी में डीजे बजवाया, राजस्थान से लड़कियों को बुलाकर डांस करवाया। यह सब हमारे समाज में प्रतिबंधित है। इसके बाद भी उन्हें समाज ने बाहर नहीं किया है, सिर्फ जाजम के खाने से बाहर किया है। उन्हें कोई अपनी दावत में नहीं बुला रहा है।
छीपानेर रोड पर रहने वाले पीड़ित मो. रशीद चौहान ने बताया कि वह मूलतः हरदा से 5 किलोमीटर दूर अबगांवखुर्द के रहने वाले हैं। 20 साल से पहले वे परिवार समेत हरदा आए और यहीं बस गए। यहां वे लकड़ी कटाई का काम करते हैं और साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। बेटे मोहीन का निकाह 28 जनवरी को चांदनी से देवास जिले की खातेगांव तहसील के संदलपुर में आयोजित सामाजिक सम्मेलन से किया था। बेटे की शादी के बड़े अरमान थे, इसलिए दो दिन बाद घर पर ही दावत रखी, जिसमें समाजजन और परिचितों को आमंत्रित किया। करीब 3500 लोग दावत में शामिल हुए थे।
आयोजन में राजस्थान की घूमर डांस करने वाली टोली को भी बुलवाया था। एक साधारण परिवार द्वारा ऐसा आयोजन, समाज के बड़े घरानों को रास नहीं आया। उन्होंने 20 फरवरी को संदलपुर में समाज की एक मीटिंग बुलवाई। मीटिंग में समाज के अलग-अलग जगह से 200 से अधिक लोग पहुंचे। मीटिंग में दो और फैसलों पर बात होनी थी, लेकिन उन पर कोई बात नहीं हुई गई। समाज के उप सदर ने माइक से मीटिंग में परिवार के 11 महीने के बेदखली का ऐलान कर दिया। हमें बिना कुछ बताए वहां पर हम चारों भाइयों को समाज से बाहर रखने का फरमान सुनाया गया। एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगा दिया।
हमने यह पूछते हुए विरोध किया कि हमारा कसूर क्या है, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। विरोध के बावजूद अब तक समाज ने अपना फैसला बरकरार रखा है। पदाधिकारी आए दिन जुर्माने के एक लाख रुपए मांगते हैं। उनका कहना है कि हमने रुपए देने से मना कर दिया है। यदि परिवार का कोई सदस्य कोई गुनाह करता तो जुर्माना जरूर भर देते, लेकिन अपने बेटे की खुशी के लिए किए आयोजन को लेकर जुर्माना लगाना या सामाजिक बहिष्कार करना न्याय संगत नहीं है। उनका कहना है कि सभी सामाजिक आयोजनों से हमारे परिवार को दूर रखा जा रहा है, जबकि 2021 में 3 लाख का चंदा सामूहिक सम्मेलन के लिए दिया था। हाल ही में खिरकिया में होने वाली शादी में तीन भाइयों को बुलाया गया, लेकिन दावत में मेरा नाम नहीं लिखा गया, जबकि उन्होंने अपने बेटे की शादी में समाज के सभी लोगों को आमंत्रित किया गया था। ऐसा जिलेभर में हो रहा है, कहीं से हमें दावत का बुलावा नहीं आ रहा है।