द चाइल्ड केयर एकेडमी में हुआ शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन, छात्र छात्राओं ने किया शिक्षकों का सम्मान
सिवनी मालवा के द चाइल्ड केयर एकेडमी में शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती की पूजन अर्चन कर तथा भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के छाया चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। आयोजित कार्यक्रम में छात्र छात्राओं ने स्कूल के सभी शिक्षकों का सम्मान किया। वही छात्र छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर स्कूल की प्राचार्य रेखा शर्मा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा की गुरु का स्थान ईश्वर से भी बड़ा माना गया है, क्योंकि गुरु के माध्यम से ही व्यक्ति ईश्वर को भी प्राप्त करता है। शिक्षक विद्यार्थियो के जीवन के वास्तविक निर्माता होते हैं जो न सिर्फ हमारे जीवन को आकार देते हैं बल्कि हमें इस काबिल बनाते हैं कि हम पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाश की तरह जलते रहें। शिक्षक समाज में प्रकाश स्तम्भ की तरह होता है। जो अपने शिष्यों को सही राह दिखाकर अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाता है। शिक्षकों के ज्ञान से फैलने वाली रोशनी दूर से ही नजर आने लगती है। इस वजह से हमारा राष्ट्र ढेर सारे प्रकाश स्तम्भों से रोशन हो रहा है। इसलिये देश में शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है। शिक्षक और विद्यार्थी के बीच के रिश्तों को सुदृढ़ करने को शिक्षक दिवस एक बड़ा अवसर होता है।
स्कूल संचालक अतुल शर्मा ने बताया की दुनिया के एक सौ से अधिक देशों में अलग-अलग समय पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। भारत में भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी।
देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन का जन्म पांच सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक थे। जिन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन पेशे को दिया है। वो विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के लिये प्रसिद्ध थे। इसलिये वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने शिक्षकों के बारे में सोचा और हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। उनका निधन 17 अप्रैल 1975 को चेन्नई में हुआ था।