जहां एक ओर शासकीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति लगातार चिंताजनक होती जा रही है वहीं, नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा के लही गांव के एक प्राइमरी स्कूल के शिक्षक अन्य स्कूलों के लिए उदहारण प्रस्तुत कर रहें है। यहां के बच्चों में गजब का जोश दिख रहा है। शिक्षक संजू बारंगे को लही प्राइमरी स्कूल का प्रभार दिया गया है शिक्षक में पढ़ाने का गजब का जज्बा है। यहां तक कि स्कूल से गैरहाजिर विद्यार्थियों को वह उनके घर जाकर ढोल बजाकर स्कूल लेकर आते हैं।
शिक्षक संजू बारंगे बताते हैं की जब मुझे लही प्रायमरी स्कूल का प्रभार दिया गया था स्कूल की स्थिती बंद होने की थी सिर्फ स्कूल में 6 बच्चे थे। मैंने गाँव में जाकर ग्रामीणों से बात की और उनसे बच्चों को स्कूल भेजने का निवेदन किया। अब स्कूल में 25 बच्चें है और 5 और आने वाले है। शुरू में बच्चे स्कूल नहीं आते थे तो हम ढोल बजाते हुए उनके घर जाते थे और उन्हें लेकर आते थे आज भी जिस दिन उपस्थिति कम होती है तो हम ढोल लेकर जाते है और उनके घर के सामने जाकर ढोल बजाते है तो बच्चों के आसपास के लोग उनके परिजनों को बच्चों को स्कूल भेजने का बोलते है तथा हम उन बच्चों को स्कूल लेकर आते हैं।
शिक्षक संजू बारंगे अपने अंदाज के लिए गांव में प्रसिद्द हैं। खास बात यह है कि जब वे अनुपस्थित बच्चों के घर उन्हें लेने जाते है तो उनके साथ ढोल और स्कूल के तमाम बच्चे होते हैं। इसके बाद गांव में घर-घर जाकर पैरेंट्स को जागरुक किया जाता है। बच्चों का नाम लेकर शिक्षिक उनके माता-पिता से कहते हैं कि उसे स्कूल भेजो। इस नवाचार के चलते इस स्कूल में अधिकांश विद्यार्थी उपस्थित रहते हैं। शिक्षक के इस प्रयास से बच्चों में पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ी है। बारंगे का कहना है कि भगवान ने गुरु बनाया है तो मैं अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करने का प्रयास कर रहा हूं। बस यही चाहता हूँ की यहाँ शिक्षकों की पदस्थापना हो जाए तो इन विद्यार्थियों की पढ़ाई अच्छे से हो सके।